Jane Kaisi Bandhi Tune Lyrics

Jane Kaisi Bandhi Tune Song is sung by Ustad Nusrat Fateh Ali Khan with music composed by Nusrat Fateh Ali Khan/Raju Singh and lyrics written by Javed Akhtar.

Jane Kaisi Bandhi Tune Lyrics in English

Song Name: Afreen Afreen

Aisa Dekha Nahi Khoobsurat Koi,
Jism Jaise Ajanta Ki Murat Koi,
Jism Jaise Nigahon Pe Jadoo Koi,
Jism Nagma Koi Jism Khushboo Koi,

Jism Jaise Mehakti Hui Chandni,
Jism Jaise Machalti Hui Ragini,
Jism Jaise Ke Khilta Hua Ik Chaman,
Jism Jaise Ke Suraj Ki Pehli Kiran,

Jism Tarsha Hua Dilkasho Dilnashin,
Sandli Sandli Marmari Marmari,

Usne Jaana Ki Tareef Mumkin Nahi,
Usne Jaana Ki Tareef Mumkin Nahi,
Afreen Afreen Afreen Afreen,
Tu Bhi Dekhe Agar Toh Kahe Humnashin,
Afreen Afreen Afreen Afreen,

Usne Jaana Ki Tareef Mumkin Nahi,
Usne Jaana Ki Tareef Mumkin Nahi…,

Jane Kaisi Bandhi Tune Akhiyon Ki Dor,
Mann Mera Khicha Chala Aaya Teri Aor,
Mere Chehre Ki Subah Zulfon Ki Sham,
Mera Sab Kuch Hai Piya Ab Se Tere Naam,

Nazron Ne Teri Chhua Toh Hai Ye Jadoo Hua,
Hone Lagi Hoon Main Haseen,

Afreen Afreen Afreen,
Afreen Afreen Afreen,
Afreen Afreen Afreen,
Afreen Afreen Afreen,

Chehra Ik Phool Ki Tarah Sharab Hai,
Chehra Uska Hai Ya Koi Mehtaab Hai,
Chehra Jaise Ghazal Chehra Jaane Ghazal,
Chehra Jaise Kalli Chehra Jaise Kanwal,

Chehra Jaise Tasavur Bhi Tasveer Bhi,
Chehra Ik Khaab Bhi Chehra Tabeer Bhi,
Chehra Koi Aliflailvi Dastaan,
Chehra Ik Pal Yakeen Chehra Ik Pal Gumah,

Chehra Jaisa Ke Chehra Kahin Bhi Nahi..,
Mahrooh Mahrooh Mehjabin Mehjabin,
Usne Jaana Ki Tareef Mumkin Nahi,
Usne Jaana Ki Tareef Mumkin Nahi,
Afreen Afreen Afreen Afreen,
Tu Bhi Dekhe Agar Toh Kahe Humnashin,
Afreen Afreen Afreen Afreen,

Usne Jaana Ki Tareef Mumkin Nahi…,

Afreen..Afreen..

Music Video

https://www.youtube.com/watch?v=M7tsJ8-JdH8

Jane Kaisi Bandhi Tune Lyrics in Hindi

उसने जाना की तारीफ़ मुमकिन नहीं
आफरीं-आफरीं…
तू भी देखे अगर, तो कहे हमनशीं
आफरीं-आफरीं…
हुस्न-ए-जाना…

ऐसा देखा नहीं खूबसूरत कोई
जिस्म जैसे अजंता की मूरत कोई
जिस्म जैसे निगाहों पे जादू कोई
जिस्म नगमा कोई, जिस्म खुशबू कोई
जिस्म जैसे मचलती हुई रागिनी
जिस्म जैसे महकती हुई चांदनी
जिस्म जैसे के खिलता हुआ इक चमन
जिस्म जैसे के सूरज की पहली किरण
जिस्म तरशा हुआ दिलकश-ओ-दिलनशीं
संदली-संदली, मरमरी-मरमरी
उसने जाना की तारीफ़ मुमकिन नहीं
आफरीं-आफरीं…
तू भी देखे अगर, तो कहे हमनशीं
आफरीं-आफरीं…
हुस्न-ए-जाना…

जाने कैसे बांधी तूने अखियों की डोर
मन मेरा खींचा चला आया तेरी ओर
मेरे चेहरे की सुबह जुल्फों की शाम
मेरा सब कुछ है पिया
अब से तेरे नाम
नज़रों ने तेरी छुआ
तो है ये जादू हुआ
होने लगी हूं में हसीन
आफरीं-आफरीं…आफरीं
आफरीं-आफरीं…आफरीं

चेहरा इक फूल की तरह शादाब है
चेहरा उसका है या कोई महताब है
चेहरा जैसे ग़ज़ल, चेहरा जाने ग़ज़ल
चेहरा जैसे कली, चेहरा जैसे कँवल
चेहरा जैसे तसव्वुर भी, तस्वीर भी
चेहरा इक ख्वाब भी, चेहरा ताबीर भी
चेहरा कोई अलिफ़ लैल की दास्ताँ
चेहरा इक पल यकीं, चेहरा इक पल गुमां
चेहरा जैसा के चेहरा कहीं भी नहीं
माहरू-माहरू, महजबीं-महजबीं
उसने जाना की तारीफ़ मुमकिन नहीं
आफरीं-आफरीं…
तू भी देखे अगर, तो कहे हमनशीं
आफरीं-आफरीं…
हुस्न-ए-जाना…

आँखें देखी तो मैं देखता रह गया
जाम दो और दोनों ही दो आतशां
आँखें या मैकदे की ये दो बाब हैं
आँखें इनको कहूँ, या कहूँ ख्वाब हैं
आँखें नीचे हुईं तो हया बन गयीं
आँखें ऊँची हुईं तो दुआ बन गयीं
आँखें उठाकर झुकीं तो अदा बन गयीं
आँखें झुकाकर उठीं तो कदा बन गयीं
आँखें जिनमें है क़ैद आसमां और ज़मीं
नरगिसी-नरगिसी, सुरमई-सुरमई
उसने जाना की तारीफ़ मुमकिन नहीं
आफरीं-आफरीं…
तू भी देखे अगर, तो कहे हमनशीं
आफरीं-आफरीं…
हुस्न-ए-जाना…

ज़ुल्फ़-ए-जाना की भी लम्बी है दास्ताँ
ज़ुल्फ़ की मेरे दिल पर है परछाईयाँ
ज़ुल्फ़ जैसे के उमड़ी हुई हो घटा
ज़ुल्फ़ जैसे के हो कोई काली बला
ज़ुल्फ़ उलझे तो दुनिया परेशान हो
ज़ुल्फ़ सुलझे तो ये दीद आसान हो
ज़ुल्फ़ बिखरे सियाह रात छाने लगी
ज़ुल्फ़ लहराए तो रात जाने लगी
ज़ुल्फ़ ज़ंजीर है, फिर भी कितनी हसीं
रेशमी-रेशमी, अम्बरी-अम्बरी
उसने जाना की तारीफ़ मुमकिन नहीं
आफरीं-आफरीं…
तू भी देखे अगर, तो कहे हमनशीं
आफरीं-आफरीं…
हुस्न-ए-जाना…

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